Nofollow लिंक्स का उपयोग करने से पेजरैंक क्यों डिसिपेट होता है, स्कल्प्ट नहीं?

पेजरैंक (PageRank) क्या है? इंटरनेट की दुनिया में इसकी भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

सबसे पहले, समझते हैं कि पेजरैंक (PageRank) है क्या! यह गूगल के संस्थापकों लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा बनाया गया एक एल्गोरिदम (algorithm) है, जो वेबपेजों को “महत्व” देने के लिए लिंक्स का विश्लेषण करता है। सरल शब्दों में, अगर कोई वेबपेज A, वेबपेज B को लिंक करता है, तो यह लिंक B के पेजरैंक को बढ़ाता है। यह प्रक्रिया “लिंक जूस” (Link Juice) यानी अथॉरिटी (authority) के ट्रांसफर जैसी है। उदाहरण के लिए, अगर आपका ब्लॉग NCERT की वेबसाइट से लिंक हो जाए, तो गूगल इसे गंभीरता से लेगा, क्योंकि NCERT एक विश्वसनीय स्रोत है।

कठिन शब्दार्थ:

  • एल्गोरिदम (Algorithm): निर्देशों का समूह जो किसी समस्या को हल करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम करता है।
  • लिंक जूस (Link Juice): एक वेबपेज से दूसरे वेबपेज को मिलने वाली अथॉरिटी या मान्यता।

लिंक एट्रिब्यूट्स (Link Attributes): Nofollow, Dofollow, और Sponsored टैग्स का क्या मतलब है?

जब आप किसी वेबपेज पर लिंक डालते हैं, तो गूगल उस लिंक को दो तरह से देखता है:

  1. Dofollow लिंक (Default): यह लिंक जूस को टार्गेट पेज तक पहुँचाता है।
  2. Nofollow लिंक (rel="nofollow"): यह गूगल को सिग्नल देता है कि “इस लिंक को फॉलो मत करो” यानी लिंक जूस ट्रांसफर नहीं होगा।

उदाहरण:

मान लीजिए आपने एक ब्लॉग पोस्ट में Flipkart का लिंक डाला है। अगर आप nofollow एट्रिब्यूट लगा देते हैं, तो Flipkart को उस लिंक से कोई SEO फायदा नहीं मिलेगा। यह टैग मुख्य रूप से स्पैम (spam) या अनवांटेड लिंक्स को रोकने के लिए बनाया गया था, जैसे कमेंट सेक्शन में लोग अपनी साइट्स का लिंक डाल देते हैं।

प्रश्न:

क्या nofollow लिंक्स का मतलब है कि गूगल उन्हें बिल्कुल नहीं देखता?

जवाब:

नहीं! गूगल nofollow लिंक्स को क्रॉल (crawl) करता है, लेकिन उन्हें रैंकिंग फैक्टर में शामिल नहीं करता।


पेजरैंक स्कल्प्टिंग (PageRank Sculpting) क्या थी और यह कैसे काम करती थी?

2000 के दशक में, SEO एक्सपर्ट्स ने “पेजरैंक स्कल्प्टिंग” नाम की टेक्नीक विकसित की। इसमें वेबमास्टर्स अपने पेज के कुछ लिंक्स (जैसे Privacy Policy, Contact Us) पर nofollow लगा देते थे, ताकि बचा हुआ “लिंक जूस” महत्वपूर्ण पेजों (जैसे प्रोडक्ट पेज) तक जाए। मान लीजिए आपकी साइट पर 10 लिंक्स हैं। अगर 5 को nofollow कर दें, तो बाकी 5 को ज्यादा पेजरैंक मिलेगा। यह तकनीक एक नल से पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने जैसी थी—कुछ पाइप्स बंद करके दूसरों में प्रेशर बढ़ाना।

कठिन शब्दार्थ:

  • वेबमास्टर्स (Webmasters): वेबसाइट के मालिक या मैनेजर।
  • टेक्नीक (Technique): किसी काम को करने का विशेष तरीका।

गूगल ने पेजरैंक स्कल्प्टिंग को क्यों अप्रभावी बना दिया?

2009 में, गूगल ने एक अहम अपडेट किया: “Nofollow लिंक्स अब पेजरैंक को डिसिपेट (dissipate) करते हैं, स्कल्प्ट नहीं।” इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप एक पेज पर 10 लिंक्स में से 5 को nofollow कर देते हैं, तो पेजरैंक उन 5 फॉलो लिंक्स में बराबर बाँट दिया जाएगा। पहले जैसा नहीं कि 5 nofollow लिंक्स को हटाने से बाकी 5 को डबल जूस मिलता था।

उदाहरण:

मान लीजिए आपके पास 10 रुपये हैं और 10 बच्चों को बाँटने हैं। अगर 5 बच्चे कमरे से बाहर चले जाएँ, तो बाकी 5 को 2-2 रुपये मिलेंगे (पुरानी स्कल्प्टिंग)। लेकिन गूगल के नए नियम में, 10 रुपये सभी 10 बच्चों में बाँटे जाते हैं, चाहे 5 बाहर ही क्यों न हों। यानी हर फॉलो लिंक को 1 रुपया मिलेगा, और nofollow लिंक्स को कुछ नहीं। इससे पेजरैंक “खोता” नहीं, बल्कि उसे बाँटने का तरीका बदल जाता है।

प्रश्न:

क्या आज भी पेजरैंक स्कल्प्टिंग उपयोगी है?

जवाब:

नहीं! गूगल ने स्पष्ट किया है कि nofollow लिंक्स से स्कल्प्टिंग अप्रभावी है। अब SEO का फोकस क्वालिटी कंटेंट और नेचुरल लिंक बिल्डिंग पर होना चाहिए।


वास्तविक जीवन के उदाहरण: भारतीय वेबसाइट्स पर Nofollow का प्रभाव

एक भारतीय ई-कॉमर्स वेबसाइट लीजिए, जैसे Nykaa या Myntra। इन साइट्स पर हजारों प्रोडक्ट पेज होते हैं, और हर पेज पर फुटर में “Terms of Service”, “Return Policy” जैसे लिंक्स होते हैं। पुराने समय में, SEO एक्सपर्ट इन लिंक्स को nofollow कर देते थे, ताकि प्रोडक्ट पेज्स को ज्यादा लिंक जूस मिले। लेकिन आज, ऐसा करने से कोई फायदा नहीं, क्योंकि पेजरैंक उन सभी लिंक्स में बँट जाता है जिन्हें nofollow नहीं किया गया है।

सीख:

अगर आपकी वेबसाइट पर 100 लिंक्स हैं और 50 को nofollow कर दें, तो बाकी 50 लिंक्स में से हर एक को पेजरैंक का 1/100 हिस्सा मिलेगा, न कि 1/50। इसलिए, nofollow लिंक्स का उपयोग सोच-समझकर करें—जैसे यूजर-जनरेटेड कंटेंट (user-generated content) या स्पॉन्सर्ड पोस्ट्स (sponsored posts) में।


Nofollow के सही उपयोग के लिए बेस्ट प्रैक्टिसेज क्या हैं?

  1. स्पैम लिंक्स को ब्लॉक करें: ब्लॉग कमेंट्स या फोरम में आने वाले अनचाहे लिंक्स पर nofollow जरूर लगाएँ।
  2. स्पॉन्सर्ड/पेड लिंक्स को चिह्नित करें: गूगल के दिशानिर्देशों के अनुसार, paid लिंक्स पर rel="sponsored" या nofollow एट्रिब्यूट्स का उपयोग करें।
  3. क्रॉल बजट (Crawl Budget) मैनेज करें: अगर आपकी साइट बहुत बड़ी है, तो गूगल को irrelevant पेज्स (जैसे लॉगिन पेज) क्रॉल करने से रोकने के लिए nofollow का उपयोग करें।

याद रखें:

Nofollow का मतलब “लिंक को छुपाना” नहीं है। यह सिर्फ गूगल को यह बताता है कि आप इस लिंक के लिए अथॉरिटी ट्रांसफर नहीं करना चाहते।


निष्कर्ष: पेजरैंक ऑप्टिमाइजेशन के लिए आधुनिक दृष्टिकोण

आज के SEO में, पेजरैंक स्कल्प्टिंग की जगह कंटेंट क्वालिटी, यूजर एक्सपीरियंस, और ऑथेंटिक बैकलिंक्स (authentic backlinks) ने ले ली है। Nofollow लिंक्स अब एक टूल हैं, जिनका उपयोग स्पैम रोकने और पारदर्शिता (transparency) बनाए रखने के लिए किया जाता है। अगर आपकी वेबसाइट विश्वसनीय स्रोतों से लिंक होती है और यूजर्स के लिए उपयोगी है, तो गूगल आपको स्वतः ही रैंक करेगा।

अंतिम प्रश्न:

क्या आपको अभी भी लिंक्स पर nofollow एट्रिब्यूट लगाना चाहिए?

हाँ!

लेकिन सिर्फ उन्हीं केस में जहाँ आप लिंक जूस ट्रांसफर नहीं करना चाहते। SEO की दौड़ में, स्मार्टनेस (smartness) हमेशा शॉर्टकट से बेहतर होती है!

इस लेक्चर को समझने के बाद, आप न केवल nofollow और पेजरैंक के बीच के रिश्ते को गहराई से जान पाएँगे, बल्कि अपनी वेबसाइट के लिए बेहतर SEO स्ट्रेटेजी भी बना सकेंगे। अगर कोई सवाल हो, तो कमेंट सेक्शन में पूछें!


📌 Quick Summary

  • पेजरैंक वेबपेजों को महत्व देने का गूगल का एल्गोरिदम है!
  • Nofollow लिंक्स लिंक जूस ट्रांसफर नहीं करते!
  • 2009 से पहले पेजरैंक स्कल्प्टिंग संभव थी (nofollow लिंक्स हटाकर अन्य लिंक्स को अधिक जूस देना)!
  • अब nofollow लिंक्स पेजरैंक को डिसिपेट करते हैं, स्कल्प्ट नहीं!
  • आधुनिक SEO में क्वालिटी कंटेंट और नेचुरल लिंक बिल्डिंग महत्वपूर्ण है!

🔍 People Also Ask

1. क्या nofollow लिंक्स से कोई SEO फायदा नहीं मिलता?

हालांकि nofollow लिंक्स सीधे पेजरैंक नहीं बढ़ाते, लेकिन वे ट्रैफिक लाने और ब्रांड अवेयरनेस बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। कभी-कभी गूगल इन्हें भी रैंकिंग फैक्टर के रूप में देख सकता है।

2. क्या सभी एक्सटर्नल लिंक्स पर nofollow लगाना चाहिए?

नहीं, केवल स्पॉन्सर्ड लिंक्स, अनवांटेड लिंक्स (जैसे कमेंट स्पैम) या ऐसे लिंक्स जिन पर आप भरोसा नहीं करते, उन्हीं पर nofollow लगाना चाहिए। प्राकृतिक लिंक्स को dofollow ही रहने दें।

3. Nofollow और Dofollow लिंक्स में कैसे अंतर करें?

Dofollow लिंक्स डिफॉल्ट होते हैं (कोई विशेष एट्रिब्यूट नहीं), जबकि nofollow लिंक्स में rel=”nofollow” एट्रिब्यूट होता है। आप पेज सोर्स कोड या SEO टूल्स से इन्हें चेक कर सकते हैं।

4. क्या nofollow लिंक्स क्रॉल बजट बचाने में मदद करते हैं?

हाँ, nofollow लिंक्स गूगल बॉट को यह संकेत देते हैं कि इन लिंक्स को फॉलो न करें, जिससे क्रॉल बजट महत्वपूर्ण पेजों के लिए बचता है।


📊 लिंक एट्रिब्यूट्स तुलना तालिका

एट्रिब्यूटलिंक जूस ट्रांसफरउपयोग केसगूगल का व्यवहार
Dofollow (डिफॉल्ट)हाँप्राकृतिक, विश्वसनीय लिंक्सलिंक को फॉलो करता है और पेजरैंक ट्रांसफर करता है
Nofollowनहींयूजर-जनरेटेड कंटेंट, स्पॉन्सर्ड लिंक्सलिंक को क्रॉल कर सकता है लेकिन पेजरैंक नहीं देता
Sponsoredनहींपेड लिंक्स, विज्ञापनnofollow के समान, विशेष रूप से पेड लिंक्स के लिए
UGC (User Generated Content)नहींफोरम पोस्ट्स, ब्लॉग कमेंट्सnofollow के समान, विशेष रूप से यूजर कंटेंट के लिए

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