SEO में Nofollow लिंक्स के इस्तेमाल में बदलाव और पेजरैंक मैनिपुलेशन पर रोक

(विषय: “गूगल ने Nofollow को लेकर बदलाव क्यों किया? पेजरैंक मैनिपुलेशन पर पूरी जानकारी”)

1. पेजरैंक (PageRank) क्या है, और यह SEO के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

गूगल के पेजरैंक सिस्टम को समझने के लिए, इसे “डिजिटल लोकतंत्र” की तरह देखें। जिस तरह चुनाव में ज्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार जीतता है, उसी तरह वेबपेजों को अन्य साइट्स से मिलने वाले लिंक्स (बैकलिंक्स) “वोट” माने जाते हैं। पेजरैंक एक गणितीय फॉर्मूला है जो तय करता है कि कौन-सा पेज सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखे।

उदाहरण:

  • अगर “स्वदेशी खादी स्टोर” वाली वेबसाइट को “मेक इन इंडिया” की ऑफिशियल साइट से लिंक मिले, तो गूगल इसे विश्वसनीयता का सिग्नल मानेगा।
  • लेकिन अगर यही लिंक किसी स्पैम साइट (जैसे फर्जी डिस्काउंट लिंक्स) से आए, तो पेजरैंक गिर सकता है।

मुश्किल शब्दों के अर्थ:

  • एल्गोरिदम (Algorithm): गणितीय नियमों का समूह जो डेटा को प्रोसेस करता है।
  • बैकलिंक्स (Backlinks): दूसरी वेबसाइट्स से आने वाले लिंक्स।

2. Nofollow लिंक क्या है? इसे शुरू में क्यों बनाया गया था?

2005 में, गूगल ने rel="nofollow" टैग पेश किया ताकि वेबमास्टर्स अनवांटेड या स्पैमी लिंक्स को “ब्लॉक” कर सकें। मूल विचार था: “अगर आप किसी लिंक पर भरोसा नहीं करते, तो उसे nofollow बना दें। इससे पेजरैंक उस साइट को ट्रांसफर नहीं होगा।

रियल-लाइफ एनालॉजी:

मान लीजिए आपके ब्लॉग पर कोई कमेंट करके अपनी साइट का लिंक छोड़ दे। अगर आप उसे nofollow कर दें, तो गूगल समझ जाएगा कि यह लिंक आपकी “सिफारिश” नहीं है।

लेकिन समस्या कहाँ आई?

कुछ SEO एक्सपर्ट्स ने nofollow का गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया। वे जानबूझकर nofollow लिंक्स का इस्तेमाल करके पेजरैंक के फ्लो को “मैनिपुलेट” (छलपूर्वक नियंत्रित) करने लगे।


3. SEO प्रोवाइडर्स ने Nofollow का दुरुपयोग कैसे किया?

यहाँ समझने वाली बात यह है कि लिंक इक्विटी (Link Equity) एक सीमित संसाधन है। हर वेबपेज का पेजरैंक उसके बैकलिंक्स की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

मैनिपुलेशन की तकनीक:

  • लिंक फार्मिंग (Link Farming): कुछ एजेंसियां सैकड़ों साइट्स बनाकर उन्हें आपस में nofollow लिंक्स से जोड़ देती थीं। इससे पेजरैंक का फ्लो “रिंग” में घूमता रहता था, और गूगल को लगता था कि साइट प्राकृतिक रूप से पॉपुलर है।
  • Sponsored लिंक्स को छिपाना: अगर कोई ब्रांड आपको पैसे देकर लिंक डालने को कहे, तो उसे nofollow करना ज़रूरी है। लेकिन कई भारतीय ब्लॉगर्स इसे छिपाकर “dofollow” लिंक्स दे देते थे, जिससे गूगल को गुमराह किया जाता था।

उदाहरण:

2018 में, एक मशहूर हिंदी टेक ब्लॉग पर पेनल्टी लगी, क्योंकि उन्होंने nofollow लिंक्स का इस्तेमाल करके क्रिप्टोकरेंसी साइट्स को अनैतिक तरीके से प्रमोट किया था।


4. गूगल ने Nofollow प्रणाली में क्या बदलाव किए?

2019 में, गूगल ने एलान किया कि अब nofollow लिंक्स को “हिंट्स” (संकेत) के तौर पर ट्रीट किया जाएगा, न कि सख्त निर्देशों के रूप में। साथ ही, दो नए एट्रिब्यूट्स पेश किए:

  • rel="sponsored": पैसे लेकर डाले गए लिंक्स के लिए।
  • rel="ugc": यूजर-जनरेटेड कंटेंट (जैसे कमेंट्स, फोरम पोस्ट्स) में दिए गए लिंक्स के लिए।

तकनीकी विवरण:

पहले, nofollow लिंक्स को गूगल पूरी तरह इग्नोर कर देता था। अब, उसके एल्गोरिदम यह तय करते हैं कि कौन-से nofollow लिंक्स क्रेडिट के लायक हैं। मतलब, अगर कोई लिंक प्रासंगिक और उपयोगी है, तो गूगल उसे “क्रॉल” कर सकता है।

उदाहरण:

  • अगर “Zomato” अपने ब्लॉग में किसी रेस्तरां का लिंक rel="sponsored" के साथ डाले, तो गूगल समझ जाएगा कि यह विज्ञापन है।
  • “Reddit” जैसी साइट्स पर हिंदी फोरम्स में डाले गए लिंक्स को rel="ugc" टैग मिलेगा।

5. इन बदलावों का भारतीय वेबसाइट्स और ब्लॉगर्स पर क्या प्रभाव पड़ा?

  • स्पैम लिंक्स का असर कम हुआ: जाली एसईओ कंपनियाँ अब nofollow का गलत इस्तेमाल नहीं कर पातीं।
  • कॉन्टेंट की गुणवत्ता पर ज़ोर: गूगल अब “लिंक्स के बजाय कॉन्टेंट” को प्राथमिकता देता है। उदाहरण के लिए, “ऑनलाइन पढ़ाई” से जुड़े ब्लॉग्स में अगर NCERT की ऑफिशियल साइट का लिंक है, तो वह nofollow होने के बावजूद वैल्यू रखता है।
  • पारदर्शिता बढ़ी: अब ब्रांड्स को स्पष्ट तौर पर sponsored लिंक्स डिक्लेयर करने होंगे।

केस स्टडी:

2021 में, एक लोकप्रिय हिंदी यात्रा ब्लॉग को तब फायदा हुआ जब उन्होंने अपने सभी होटल पार्टनर्स के लिंक्स को rel="sponsored" से टैग किया। गूगल ने उनकी विश्वसनीयता बढ़ा दी!


6. भविष्य में एथिकल SEO के लिए क्या करें?

  • लिंक्स का उद्देश्य स्पष्ट रखें: अगर लिंक पैड (भुगतान) है, तो rel="sponsored" ज़रूर लगाएँ।
  • कॉन्टेंट को प्राथमिकता दें: गूगल की AI अब कॉन्टेंट की इंटेंट (उद्देश्य) को समझती है। उदाहरण के लिए, “UPSC की तैयारी” वाले आर्टिकल में अगर आप “Unacademy” का नेचुरल लिंक डालें, तो वह nofollow होकर भी फायदा दे सकता है।
  • नियमित ऑडिट करें: SEMrush या Ahrefs जैसे टूल्स से चेक करें कि आपकी साइट के लिंक्स कहाँ से आ रहे हैं।

याद रखें: गूगल का मकसद सर्च इंजन को “यूजर के लिए उपयोगी” बनाना है। अगर आपकी साइट यूजर्स की मदद करती है, तो एल्गोरिदम अपने आप आपको रिवॉर्ड देगा!


निष्कर्ष:

गूगल के ये बदलाव हमें यह सिखाते हैं कि SEO अब “शॉर्टकट्स” का खेल नहीं रहा। यह क्वालिटी, पारदर्शिता, और यूजर एक्सपीरियंस पर टिका है। तो, अगली बार जब कोई एसईओ एक्सपर्ट आपको “गारंटीड रैंकिंग” का ऑफर दे, तो उससे पूछिए: “क्या आप गूगल के नए नियमों के मुताबिक काम करेंगे, या पुराने तरीकों से मेरी साइट को रिस्क में डालेंगे?”


समझे गए? अब शुरू करें वास्तविक SEO — जहाँ ट्रस्ट और क्वालिटी ही राजा है!


क्विक समरी:

  • पेजरैंक गूगल का सिस्टम है जो वेबपेजों की गुणवत्ता मापता है।
  • Nofollow लिंक्स 2005 में स्पैम रोकने के लिए बनाए गए थे।
  • SEO एक्सपर्ट्स ने nofollow से पेजरैंक मैनिपुलेशन किया।
  • 2019 में गूगल ने nofollow को “हिंट” बना दिया और नए एट्रिब्यूट्स (sponsored, ugc) पेश किए।
  • अब क्वालिटी कंटेंट और पारदर्शिता पर जोर दिया जाता है।

People Also Ask

1. Nofollow और Dofollow लिंक में क्या अंतर है?

Dofollow लिंक पेजरैंक को ट्रांसफर करते हैं जबकि nofollow लिंक्स मूल रूप से पेजरैंक ट्रांसफर नहीं करते थे। हालांकि, 2019 के बाद से गूगल nofollow लिंक्स को भी कुछ स्थितियों में क्रेडिट दे सकता है।

2. क्या nofollow लिंक्स से अभी भी SEO फायदा मिल सकता है?

हाँ, अप्रत्यक्ष रूप से। अगर कोई nofollow लिंक ट्रैफिक लाता है और यूजर एंगेजमेंट बढ़ाता है, तो यह आपकी साइट की रैंकिंग में मदद कर सकता है। साथ ही, गूगल अब कुछ nofollow लिंक्स को “हिंट्स” के रूप में भी इस्तेमाल करता है।

3. भारतीय वेबसाइट्स के लिए सबसे जरूरी SEO टिप क्या है?

क्वालिटी कंटेंट और यूजर एक्सपीरियंस पर फोकस करें। हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में कंटेंट बनाते समय स्थानीय संदर्भ और उपयोगी जानकारी दें। स्पैम लिंक्स से बचें और sponsored कंटेंट को हमेशा डिक्लेयर करें।


Nofollow लिंक्स के प्रकार (2019 के बाद)

एट्रिब्यूटउपयोगउदाहरण
rel=”nofollow”जब आप किसी लिंक को एंडोर्स नहीं करतेब्लॉग कमेंट में दिया गया लिंक
rel=”sponsored”पेड लिंक्स या विज्ञापन के लिएकिसी ब्रांड ने पैसे देकर लिंक डलवाया हो
rel=”ugc”यूजर-जनरेटेड कंटेंट के लिएफोरम पोस्ट या सोशल मीडिया कमेंट में लिंक

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