1. गूगल ने विश्वसनीय स्रोतों (Trusted Sources) को प्रोत्साहित करने का फैसला क्यों लिया?
क्या आपने कभी सोचा है कि गूगल कैसे तय करता है कि कौन सी वेबसाइट सर्च रिजल्ट्स में ऊपर दिखे? यह कोई जादू नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है। गूगल का मुख्य उद्देश्य यूजर्स को सही, सटीक, और विश्वसनीय जानकारी देना है। अगर गूगल ऐसा न करे, तो क्या होगा? मान लीजिए, आप “COVID वैक्सीन साइड इफेक्ट्स” सर्च करते हैं और आपको एक ऐसा ब्लॉग मिलता है जो अफवाहों से भरा है। इससे न केवल यूजर का विश्वास टूटेगा, बल्कि गूगल की विश्वसनीयता (Credibility) भी प्रभावित होगी।
इसीलिए, 2018 के “मेडिकल अपडेट” से लेकर 2022 के “हेल्पफुल कंटेंट अपडेट” तक, गूगल ने अपने एल्गोरिदम (Algorithm – नियमों का समूह) को लगातार ऐसे बदलावों के साथ अपडेट किया है जो E-A-T (Expertise, Authoritativeness, Trustworthiness) यानी “ज्ञान, अधिकार, और विश्वसनीयता” वाली साइट्स को प्राथमिकता देते हैं।
उदाहरण:
- दैनिक भास्कर या NDTV जैसी वेबसाइट्स हेल्थ, फाइनेंस, या न्यूज सेक्शन में हमेशा टॉप पर रहती हैं, क्योंकि उनके कंटेंट रिसर्च-बेस्ड होते हैं और लेखकों के पास संबंधित फील्ड में एक्सपर्टीज होती है।
- इसके विपरीत, ऐसी साइट्स जो “फटाफट वजन घटाने के उपाय” जैसे क्लिकबेट (Clickbait – ध्यान खींचने वाले लेकिन खोखले हेडलाइन) टाइटल्स का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें गूगल पेनलाइज कर देता है।
2. गूगल कैसे पहचानता है कि कौन सा कंटेंट “पतला” (Thin Content) है?
“पतला कंटेंट” क्या है? यह वह कंटेंट है जो यूजर को कोई वैल्यू नहीं देता। जैसे:
- 300 शब्दों का वह आर्टिकल जिसमें केवल कीवर्ड (Keywords – खोजशब्द) भरे हुए हैं, लेकिन कोई गहराई नहीं।
- वेबपेज जो दूसरी साइट्स के कंटेंट को कॉपी-पेस्ट करके बनाए गए हैं (Duplicate Content)।
- पेज जिनका उद्देश्य केवल एड्स से कमाई करना है, जैसे कुछ “फ्री रिचार्ज ट्रिक्स” वाले पेज।
गूगल इन्हें “कंटेंट फार्म्स” (Content Farms) कहता है और इन्हें सर्च रिजल्ट्स में नीचे धकेल देता है। इसकी पहचान करने के लिए गूगल नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP – भाषा को समझने की तकनीक) और बाउंस रेट (Bounce Rate – वेबसाइट छोड़ने की दर) जैसे फैक्टर्स का इस्तेमाल करता है। अगर यूजर 10 सेकंड में ही वेबसाइट छोड़ देता है, तो गूगल समझ जाता है कि कंटेंट खराब है।
तकनीकी पहलू:
- कोर वेब विटल्स (Core Web Vitals): यह तीन मापदंड हैं – लोडिंग स्पीड, इंटरैक्टिविटी, और विजुअल स्थिरता। अगर आपकी साइट इनमें फेल होती है, तो गूगल इसे “पतला” मान सकता है।
- सीमेंटिक सर्च (Semantic Search): गूगल अब कीवर्ड्स नहीं, बल्कि यूजर के इरादे (Intent) को समझता है। उदाहरण के लिए, “बजट फ्रेंडली लैपटॉप” सर्च करने वाला यूजर सस्ते लैपटॉप खरीदना चाहता है, न कि लैपटॉप के इतिहास के बारे में पढ़ना।
3. विश्वसनीय स्रोत बनने के लिए क्या करें? भारतीय क्रिएटर्स के लिए गाइड
क्या आपका कंटेंट E-A-T के मानकों पर खरा उतरता है?
- एक्सपर्टीज (Expertise): क्या आपके कंटेंट को लिखने वाले को विषय का गहरा ज्ञान है? उदाहरण: अगर आप “म्यूचुअल फंड्स” पर ब्लॉग लिख रहे हैं, तो लेखक का फाइनेंस बैकग्राउंड होना चाहिए।
- अथॉरिटेटिवनेस (Authoritativeness): क्या आपकी वेबसाइट को उस फील्ड में अन्य विशेषज्ञों ने मान्यता दी है? जैसे, अगर आपकी हेल्थ वेबसाइट को “आयुष मंत्रालय” ने सर्टिफाई किया है, तो यह एक प्लस पॉइंट है।
- ट्रस्टवर्थिनेस (Trustworthiness): क्या आपकी साइट HTTPS सुरक्षित है? क्या कॉन्टैक्ट पेज और प्राइवेसी पॉलिसी स्पष्ट है?
भारतीय संदर्भ में टिप्स:
- रिसर्च-बेस्ड कंटेंट: उदाहरण के लिए, “यूपीएससी की तैयारी” पर आर्टिकल लिखते समय टॉपर्स के इंटरव्यू और ऑफिशियल सिलेबस का हवाला दें।
- लोकल भाषाओं का इस्तेमाल: गूगल ने हिंदी, तमिल, बांग्ला जैसी भारतीय भाषाओं के कंटेंट को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है।
- यूजर इंटेंट को समझें: अगर कोई “गुड़ के फायदे” सर्च कर रहा है, तो उसे केवल 10 पॉइंट्स न दें, बल्कि आयुर्वेदिक रेफरेंस, साइंटिफिक स्टडीज, और रेसिपीज भी शामिल करें।
4. गूगल के अपडेट्स का भारतीय वेबसाइट्स पर क्या प्रभाव पड़ा? केस स्टडीज
- सकारात्मक उदाहरण: BYJU’S जैसी एजुकेशनल साइट्स ने अपने कंटेंट में एक्सपर्ट्स के वीडियो लेक्चर्स और इंटरएक्टिव क्विज़ शामिल किए, जिससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ी और गूगल रैंकिंग में सुधार हुआ।
- नकारात्मक उदाहरण: 2021 में, कई हिंदी ब्लॉग्स जो “सरकारी योजनाओं” के नाम पर डुप्लीकेट कंटेंट पोस्ट करते थे, उनकी ट्रैफिक 60% तक गिर गई क्योंकि गूगल ने उन्हें “लो-वैल्यू” साइट्स माना।
5. भविष्य की तैयारी: गूगल के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें
गूगल लगातार अपने एल्गोरिदम को AI और मशीन लर्निंग के जरिए स्मार्ट बना रहा है। आने वाले समय में, BERT अपडेट और MUM (Multitask Unified Model) जैसी टेक्नोलॉजीज कंटेंट की गुणवत्ता को और स्ट्रिक्टली चेक करेंगी।
अंतिम सलाह:
- क्वालिटी ओवर क्वांटिटी: एक 2000 शब्द का गहन आर्टिकल 10 पतले ब्लॉग्स से बेहतर है।
- यूजर फर्सस्ट माइंडसेट: अपने आप से पूछें – “क्या यह कंटेंट मेरी माँ या दोस्त के काम आ सकता है?” अगर हाँ, तो आप सही रास्ते पर हैं।
निष्कर्ष
गूगल का यह बदलाव वेब की दुनिया को ज़िम्मेदार और यूजर-सेंट्रिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हमें चाहिए कि हम “चलता है” वाली मानसिकता छोड़कर, गुणवत्तापूर्ण कंटेंट बनाएं। याद रखें, टेक्नोलॉजी बदल सकती है, लेकिन विश्वास और ईमानदारी हमेशा टॉप पर रहती है।
टॉपिक से जुड़े महत्वपूर्ण शब्दावली:
- YMYL (Your Money or Your Life): वे पेज जो स्वास्थ्य, वित्त, या कानून से जुड़े हैं – गूगल इन्हें अतिरिक्त स्ट्रिक्टनेस से चेक करता है।
- SERP Features: सर्च रिजल्ट पेज पर दिखने वाले विशेष बॉक्स, जैसे “फ़ीचर्ड स्निपेट”।
इस लेक्चर को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और कमेंट्स में बताएं – आप गूगल के इन बदलावों को कैसे देखते हैं?
📌 Quick Summary
- गूगल E-A-T (Expertise, Authoritativeness, Trustworthiness) वाली साइट्स को प्राथमिकता देता है!
- “पतला कंटेंट” (Thin Content) वह है जो यूजर को कोई वैल्यू नहीं देता!
- भारतीय क्रिएटर्स के लिए रिसर्च-बेस्ड कंटेंट और लोकल भाषाओं का उपयोग महत्वपूर्ण!
- BYJU’S जैसी साइट्स ने गुणवत्तापूर्ण कंटेंट से फायदा उठाया!
- भविष्य में AI आधारित अपडेट्स (BERT, MUM) कंटेंट क्वालिटी को और सख्ती से चेक करेंगे!
📊 E-A-T मानकों की तुलना
मानक | अच्छा उदाहरण | खराब उदाहरण |
---|---|---|
एक्सपर्टीज (Expertise) | फाइनेंस ब्लॉग जो CFA धारक द्वारा लिखा गया हो | “म्यूचुअल फंड्स गाइड” जो कॉपी-पेस्ट कंटेंट हो |
अथॉरिटेटिवनेस (Authoritativeness) | आयुष मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त हेल्थ साइट | बिना किसी रेफरेंस वाली मेडिकल सलाह |
ट्रस्टवर्थिनेस (Trustworthiness) | HTTPS सुरक्षित साइट जिसमें प्राइवेसी पॉलिसी स्पष्ट हो | कॉन्टैक्ट डिटेल्स के बिना वेबसाइट |
❓ People Also Ask
Q1. क्या छोटे ब्लॉगर्स अब गूगल पर रैंक नहीं कर सकते?
नहीं! गूगल साइट के साइज़ नहीं, बल्कि कंटेंट की क्वालिटी को देखता है। अगर आपका कंटेंट यूनिक और डीटेल्ड है, तो आप टॉप पर आ सकते हैं।
Q2. “थिन कंटेंट” को ठीक कैसे करें?
- पुराने आर्टिकल्स को अपडेट करें
- यूजर कमेंट्स और क्वेश्चन्स के आधार पर कंटेंट को विस्तार दें
- इमेजेज, इन्फोग्राफिक्स, और वीडियोज़ जोड़ें
Q3. भारतीय भाषाओं में कंटेंट के लिए गूगल की क्या पॉलिसी है?
गूगल ने हिंदी, तमिल, बांग्ला जैसी भारतीय भाषाओं के कंटेंट को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। स्थानीय भाषा में गुणवत्तापूर्ण कंटेंट बनाने वालों को बेहतर रैंकिंग मिलती है।
Q4. YMYL (Your Money or Your Life) कंटेंट क्या है?
यह वे पेज हैं जो स्वास्थ्य, वित्त, या कानून से जुड़े हैं – गूगल इन्हें अतिरिक्त स्ट्रिक्टनेस से चेक करता है क्योंकि इनका सीधा प्रभाव यूजर के जीवन पर पड़ सकता है।
Q5. क्या गूगल के ये अपडेट भारतीय वेबसाइट्स को प्रभावित कर रहे हैं?
हाँ, 2021 में कई हिंदी ब्लॉग्स जो “सरकारी योजनाओं” के नाम पर डुप्लीकेट कंटेंट पोस्ट करते थे, उनकी ट्रैफिक 60% तक गिर गई। वहीं BYJU’S जैसी गुणवत्तापूर्ण कंटेंट वाली साइट्स को फायदा हुआ।
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