कंप्यूटर विज्ञान का महत्वपूर्ण आधार: अमूर्त यंत्र (Abstract Machine) को समझना

अमूर्त यंत्र (Abstract Machine) की सरल परिभाषा

अमूर्त यंत्र (Abstract Machine) एक काल्पनिक मॉडल (Imaginary Model) है जो कंप्यूटर या सॉफ्टवेयर के व्यवहार को गणितीय नियमों  (Mathematical Rules) और तर्क (Logic) की मदद से परिभाषित करता है। यह असली कोड या हार्डवेयर नहीं है, बल्कि एक सैद्धांतिक ढांचा  (Theoretical Framework) है जो यह बताता है कि एक सिस्टम को  क्या  करना चाहिए, बिना यह बताए कि कैसे  करना चाहिए।

उदाहरण (Example):

मान लीजिए आप रेलवे टिकट बुकिंग सिस्टम का डिज़ाइन बना रहे हैं। अमूर्त यंत्र यह परिभाषित करेगा:

  • “यदि एक सीट खाली है, तो उसे बुक किया जा सकता है।”
  • “एक ही सीट एक समय पर केवल एक यात्री को ही मिल सकती है।”

लेकिन यह नहीं बताएगा कि सीट कैसे स्टोर की जाती है (डेटाबेस में? ऐरे में?) या बुकिंग का कोड कैसे लिखा जाए। यह सिर्फ नियमों और शर्तों को समझने में मदद करता है।

सादृश्य (Analogy):

जैसे रुपये का मूल्य (Value of Currency) एक अमूर्त अवधारणा है—आप छू नहीं सकते, लेकिन यह अर्थव्यवस्था को चलाता है। वैसे ही, अमूर्त यंत्र सॉफ्टवेयर का “अदृश्य नक्शा” होता है।

इसे “सॉफ्टवेयर का ब्लूप्रिंट” भी कह सकते हैं!



आज हम कंप्यूटर विज्ञान (Computer Science) की एक बहुत ही  मौलिक  (Fundamental), सैद्धांतिक (Theoretical), और  शक्तिशाली  (Powerful) अवधारणा (Concept) पर चर्चा करने जा रहे हैं – अमूर्त यंत्र या एब्स्ट्रैक्ट मशीन (Abstract Machine)। यह नाम सुनकर शायद आपके मन में एक भौतिक, धातु और तारों वाली मशीन की छवि आए। लेकिन विद्यार्थियों, यहाँ “यंत्र” शब्द थोड़ा भ्रामक (Misleading) हो सकता है। यह कोई हार्डवेयर नहीं है जिसे आप छू सकें। बल्कि, यह एक पूर्णतः सैद्धांतिक निर्माण (Purely Theoretical Construct) है, एक मानसिक ढांचा  (Mental Framework), जिसका उद्देश्य कंप्यूटिंग प्रक्रियाओं (Computing Processes) और सॉफ्टवेयर व्यवहार (Software Behaviour) को सटीकता (Precision) और गणितीय कठोरता  (Mathematical Rigor) के साथ परिभाषित करना और विश्लेषण करना है। सोचिए, जैसे कोई वास्तुकार (Architect) किसी भवन का नक्शा (Blueprint) बनाता है, उससे पहले कि ईंट-गारा लगे। अमूर्त यंत्र भी कुछ वैसा ही है – यह कोड लिखने से पहले का वह “नक्शा” है जो बताता है कि सिस्टम को क्या करना चाहिए, बिना यह बताए कि कैसे करना चाहिए।


अमूर्त यंत्र की परिभाषा: गहराई में जाना (Definition: Delving Deeper)

आइए, हमारे पाठ्यक्रम में दी गई विशेष परिभाषा को लें और उसे  खोलकर (Unpack) समझें:

“एक अमूर्त यंत्र एक सैद्धांतिक मॉडल (Theoretical Model) है जो विशिष्टताओं (Specifications) का वर्णन करने के लिए गैर-नियतात्मक निर्माणों (Non-Deterministic Constructions), समुच्चय भाषा (Set Language), और प्रथम-क्रम तर्क (First-Order Logic) का उपयोग करता है। यह कलनविधिक निर्माणों (Algorithmic Constructions) को प्रतिबंधित करता है लेकिन चरणबद्ध परिष्करण (Gradual Refinement) की अनुमति देता है ताकि डेटा समुच्चय संरचनाओं (Data Set Structures) को प्रोग्रामिंग भाषा जैसी संरचनाओं (Programming Language-like Structures) से प्रतिस्थापित करके निष्पादन योग्य अनुप्रयोगों (Executable Applications) को प्रस्तुत किया जा सके।”

इस परिभाषा में कई जटिल (Complex) शब्द हैं। आइए इन्हें क्रमवार  (Step-by-Step) समझें:

  1. सैद्धांतिक मॉडल (Theoretical Model): यह सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात है। अमूर्त यंत्र कोई वास्तविक मशीन या प्रोग्राम नहीं है। यह एक विचार (Idea), एक गणितीय अमूर्तन (Mathematical Abstraction) है। इसका अस्तित्व केवल कागज पर या कंप्यूटर वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में है। इसका उद्देश्य वास्तविक दुनिया की जटिलताओं (Complexities) को सरलीकृत (Simplified) और नियंत्रित (Controlled) तरीके से प्रस्तुत करना है।
  2. विशिष्टताओं का वर्णन (Describing Specifications): अमूर्त यंत्र का प्राथमिक लक्ष्य यह स्पष्ट करना है कि एक प्रणाली (System) या प्रोग्राम को क्या करना चाहिए। इसमें उसके इनपुट (Inputs),  आउटपुट (Outputs), और विभिन्न स्थितियों (States) में उसके व्यवहार (Behaviour) का औपचारिक विवरण (Formal Description) शामिल होता है। यह “क्या” (What) पर केंद्रित है, “कैसे” (How) पर नहीं। जैसे, एक रेलवे आरक्षण प्रणाली के लिए अमूर्त यंत्र यह परिभाषित करेगा कि “जब कोई यात्री सीट बुक करता है, तो उस सीट का स्टेटस ‘खाली’ से ‘बुक्ड’ हो जाना चाहिए”, लेकिन यह नहीं बताएगा कि यह स्टेटस डेटाबेस में कैसे अपडेट होता है।
  3. उपयोग की जाने वाली भाषाएं/तकनीकें (Languages/Techniques Used):
    • गैर-नियतात्मक निर्माण (Non-Deterministic Constructions): यहाँ “गैर-नियतात्मक” (Non-Deterministic) का क्या अर्थ है? इसका मतलब है कि अमूर्त यंत्र उन स्थितियों को मॉडल कर सकता है जहाँ एक ही इनपुट के लिए, एक से अधिक संभावित आउटपुट या अगली स्थिति (Next State) हो सकती है। यह अनिश्चितता (Uncertainty) या समवर्ती व्यवहार  (Concurrent Behaviour – जहां कई काम एक साथ होते हैं) को दर्शाने के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, एक ट्रैफिक लाइट कंट्रोलर का अमूर्त यंत्र यह निर्दिष्ट कर सकता है कि “एमरजेंसी वाहन आने पर, लाल बत्ती या तो तुरंत हरी हो सकती है या कुछ सेकंड के बाद हरी हो सकती है” – यहाँ दो संभावनाएं हैं, यह निश्चित नहीं है कि कौन सी घटना घटेगी।
    • समुच्चय भाषा (Set Language): अमूर्त यंत्र अक्सर समुच्चय सिद्धांत (Set Theory) का उपयोग करते हैं। समुच्चय (Set) वस्तुओं का एक संग्रह (Collection) होता है। यहाँ डेटा, सिस्टम की अवस्थाएँ (States), और संभावित इनपुट/आउटपुट को समुच्चयों के रूप में परिभाषित किया जाता है। उदाहरण के लिए, बैंक खाता प्रबंधन प्रणाली में, “सभी वैध खाता संख्याओं का समुच्चय” या “खाते की संभावित स्थितियाँ: सक्रिय, निलंबित, बंद”। यह संरचना (Structure) और संबंध (Relationships) को स्पष्ट करने में मदद करता है।
    • प्रथम-क्रम तर्क (First-Order Logic – FOL): यह एक औपचारिक तर्क प्रणाली (Formal Logic System) है जिसका उपयोग गुणों (Properties) और संबंधों (Relationships) को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह अमूर्त यंत्र में शर्तों (Conditions), नियमों (Rules), और बाधाओं (Constraints) को परिभाषित करने की अनुमति देता है। FOL का उपयोग करके, हम बयान (Statements) लिख सकते हैं जैसे: “यदि खाते में शेष राशि न्यूनतम शेष राशि से कम है (Condition), तो एक शुल्क लगाया जाएगा (Action)” या “प्रत्येक ग्राहक के पास एक अद्वितीय ग्राहक आईडी होनी चाहिए (Constraint)”। यह अमूर्त यंत्र को सटीकता (Precision) और अस्पष्टता से मुक्ति (Freedom from Ambiguity) प्रदान करता है।
  4. कलनविधिक निर्माणों का निषेध (Prohibition of Algorithmic Constructions): यह एक महत्वपूर्ण प्रतिबंध (Key Restriction) है। अमूर्त यंत्र में, हम यह नहीं बताते हैं कि किसी कार्य को करने के लिए चरण-दर-चरण प्रक्रिया (Step-by-Step Procedure) क्या है। हम लूप्स (Loops), विधियों/फंक्शन्स को कॉल करना (Calling Methods/Functions), या विशिष्ट डेटा संरचनाओं जैसे ऐरे या लिंक्ड लिस्ट के कार्यान्वयन (Implementation of specific data structures like arrays or linked lists) जैसी चीजों का उपयोग नहीं करते हैं। क्यों? क्योंकि यह स्तर “कैसे” (How) से संबंधित है, जबकि अमूर्त यंत्र का फोकस “क्या” (What) पर है। यह विनिर्देशन (Specification) को कार्यान्वयन (Implementation) से अलग रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि हम सिस्टम के इरादे (Intention) और अपेक्षित व्यवहार (Expected Behaviour) पर ध्यान केंद्रित करें, बिना किसी विशेष प्रोग्रामिंग भाषा या प्लेटफॉर्म की जटिलताओं में उलझे।
  5. चरणबद्ध परिष्करण (Gradual Refinement): यह अमूर्त यंत्र की सबसे शक्तिशाली विशेषता (Most Powerful Feature) है। हम अमूर्त यंत्र को एक प्रारंभिक बिंदु (Starting Point) के रूप में उपयोग करते हैं। इस उच्च-स्तरीय, अत्यधिक अमूर्त (Highly Abstract) मॉडल से शुरू करके, हम इसे क्रमिक रूप से (Step by Step), व्यवस्थित ढंग से (Systematically) उन मॉडलों में परिष्कृत (Refine) करते हैं जो वास्तविक कोड के अधिक निकट (Closer) होते हैं। प्रत्येक परिष्करण चरण (Refinement Step) में, हम अमूर्त अवधारणाओं को अधिक ठोस (More Concrete) अवधारणाओं से प्रतिस्थापित करते हैं। विशेष रूप से:
    • डेटा समुच्चय संरचनाओं का प्रतिस्थापन (Replacing Data Set Structures): प्रारंभिक अमूर्त यंत्र में, डेटा अक्सर गणितीय समुच्चयों (Mathematical Sets) या FOL प्रेडिकेट्स (Predicates) के रूप में परिभाषित होता है। परिष्करण के दौरान, इन अमूर्त समुच्चयों को प्रोग्रामिंग भाषा जैसी संरचनाओं (Programming Language-like Structures) से बदल दिया जाता है। उदाहरण के लिए:
      • “सभी वैध यूजर आईडी का समुच्चय” -> एक enum डेटा टाइप या एक int रेंज की जाँच करने वाला फंक्शन।
      • “खाते की वर्तमान शेष राशि” (एक गणितीय मान) -> एक float या double प्रकार का प्रोग्राम वेरिएबल।
      • “ग्राहक और उनके खातों के बीच संबंध” (एक गणितीय संबंध) -> एक HashMap या Dictionary डेटा संरचना जो कस्टमर आईडी को अकाउंट ऑब्जेक्ट से मैप करती है।
    • निष्पादन योग्यता की ओर (Towards Executability): जैसे-जैसे हम परिष्करण करते जाते हैं, हम धीरे-धीरे कलनविधिक तत्वों (Algorithmic Elements) को शामिल करना शुरू करते हैं, जिन्हें प्रारंभिक अमूर्त स्तर पर प्रतिबंधित किया गया था। हम नियंत्रण प्रवाह (Control Flow – जैसे लूप्स, कंडीशनल स्टेटमेंट्स) और विधियों/फंक्शन्स के कॉल (Method/Function Calls) को परिभाषित करते हैं। अंततः, हम एक ऐसे मॉडल पर पहुँचते हैं जिसे सीधे तौर पर (Directly) या अर्ध-स्वचालित रूप से (Semi-Automatically) वास्तविक प्रोग्रामिंग कोड (जैसे Java, C++, Python) में अनूदित (Translated) किया जा सकता है।

अमूर्त यंत्र का महत्व: व्यावहारिक दृष्टिकोण से (Significance: A Practical View)

“यह सब सैद्धांतिक लगता है प्रोफेसर साहब, वास्तविक दुनिया में इसका क्या उपयोग है?” – एक बहुत ही वाजिब प्रश्न! अमूर्त यंत्रों का महत्व कई गुना है:

  1. सटीकता और स्पष्टता (Precision and Clarity): प्राकृतिक भाषा (Natural Language – जैसे हिंदी या अंग्रेजी में लिखे गए दस्तावेज़) अक्सर अस्पष्ट (Ambiguous) होती है। एक वाक्य अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग तरीकों से व्याख्या किया जा सकता है। अमूर्त यंत्र, गणित (Sets) और तर्क (FOL) का उपयोग करके, सिस्टम की अपेक्षाओं (System Expectations) का एक असंदिग्ध (Unambiguous) और अविवेच्य (Unarguable) विवरण प्रदान करते हैं। यह डेवलपर्स (Developers), टेस्टर्स (Testers), और क्लाइंट्स (Clients) के बीच गलतफहमियों को दूर करता है। उदाहरण के लिए, एक बैंकिंग ऐप के लिए “लेन-देन सुरक्षित होना चाहिए” जैसी अस्पष्ट आवश्यकता के बजाय, अमूर्त यंत्र यह परिभाषित करेगा कि “किन शर्तों (Conditions) के तहत लेन-देन स्वीकार किया जाएगा (जैसे: शेष राशि >= लेन-देन राशि + शुल्क, OTP सत्यापित)” और “कौन से डेटा एन्क्रिप्टेड होने चाहिए”। यह अस्पष्टता को समाप्त (Eliminates Ambiguity) करता है।
  2. औपचारिक सत्यापन (Formal Verification): यह अमूर्त यंत्रों का एक अत्यंत शक्तिशाली (Extremely Powerful) अनुप्रयोग है। चूंकि अमूर्त यंत्र गणितीय रूप से परिभाषित होते हैं, इसलिए हम गणितीय प्रमाण (Mathematical Proofs) का उपयोग करके यह साबित कर सकते हैं कि हमारा डिज़ाइन कुछ महत्वपूर्ण गुणों (Critical Properties) को संतुष्ट करता है। उदाहरण के लिए:
    • सुरक्षा (Safety): “क्या यह असंभव है कि ट्रेनें एक ही ट्रैक पर विपरीत दिशाओं में चलें?” (जैसे रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम के लिए)।
    • जीवंतता (Liveness): “क्या हर बार जब कोई बटन दबाया जाएगा, तो लिफ्ट अंततः आएगी?” (लिफ्ट कंट्रोल सिस्टम के लिए)।
    • डेडलॉक-मुक्ति (Deadlock-Freedom): “क्या यह गारंटी है कि सिस्टम कभी भी उस स्थिति में नहीं फंसेगा जहां दो प्रक्रियाएँ एक-दूसरे का इंतजार कर रही हैं और कोई भी आगे नहीं बढ़ सकती?” (मल्टीथ्रेडेड सिस्टम्स के लिए)।
      यह पारंपरिक परीक्षण (Traditional Testing) से कहीं आगे की बात है, जो केवल कुछ चुने हुए परिदृश्यों (Selected Scenarios) की जांच कर सकता है। औपचारिक सत्यापन सिद्ध करता है कि सिस्टम सभी संभावित परिस्थितियों (All Possible Situations) में सही व्यवहार करेगा। जीवन-रक्षक सिस्टम (Life-Critical Systems) जैसे विमानन सॉफ्टवेयर या मेडिकल डिवाइस में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  3. विश्वसनीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग (Reliable Software Engineering): चरणबद्ध परिष्करण की प्रक्रिया डिजाइन त्रुटियों (Design Errors) को प्रारंभिक अवस्था (Early Stage) में पकड़ने में मदद करती है, जब उन्हें ठीक करना सबसे आसान और सस्ता होता है। यह एक व्यवस्थित और अनुशासित (Systematic and Disciplined) विकास पद्धति प्रदान करता है। प्रत्येक परिष्करण चरण को सत्यापित (Verified) किया जा सकता है यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह पिछले, अधिक अमूर्त मॉडल के अनुरूप है। यह अंतर्निहित सहीता (Inherent Correctness) की एक श्रृंखला बनाता है। भारत जैसे देश में, जहां महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा (Critical Infrastructure – बिजली ग्रिड, बैंकिंग) और डिजिटल सेवाएं (आधार, UPI) तेजी से विकसित हो रही हैं, इस तरह की विश्वसनीयता (Reliability) और सुरक्षा (Security) परम आवश्यक है। अमूर्त यंत्र और उनके परिष्करण प्रमाणनीय सॉफ्टवेयर (Certifiable Software) के विकास की कुंजी हैं।
  4. जटिलता प्रबंधन (Complexity Management): बड़े सॉफ्टवेयर सिस्टम अक्सर अकल्पनीय रूप से जटिल (Unimaginably Complex) होते हैं। अमूर्त यंत्र हमें इस जटिलता को प्रबंधनीय स्तरों (Manageable Levels) में विघटित (Decompose) करने की अनुमति देते हैं। हम सबसे पहले सिस्टम के उच्च-स्तरीय व्यवहार (High-Level Behaviour) पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, बिना निचले स्तर के विवरणों (Low-Level Details) में डूबे। फिर, परिष्करण के माध्यम से, हम धीरे-धीरे उन विवरणों को जोड़ते हैं। यह मानव मस्तिष्क (Human Brain) की सीमित क्षमता के अनुरूप है। यह मॉड्यूलर डिजाइन (Modular Design) को भी बढ़ावा देता है।
  5. प्रोग्रामिंग भाषाओं का सैद्धांतिक आधार (Theoretical Basis for PLs): क्या आप जानते हैं कि अमूर्त यंत्रों की अवधारणा प्रोग्रामिंग भाषाओं को परिभाषित करने और समझने के लिए मौलिक है? जावा वर्चुअल मशीन (JVM) या पायथन इंटरप्रेटर जैसी वास्तविक वर्चुअल मशीनें (Real Virtual Machines), अमूर्त मशीनों के ठोस कार्यान्वयन (Concrete Implementations of Abstract Machines) हैं! भाषा की सिमेंटिक्स (Semantics – अर्थशास्त्र) अक्सर एक अमूर्त यंत्र के संदर्भ में परिभाषित की जाती है जो यह वर्णन करती है कि किसी दिए गए प्रोग्राम के निष्पादन से सिस्टम की अवस्था (State) कैसे बदलती है। यह कंपाइलर (Compilers) और इंटरप्रेटर (Interpreters) को डिजाइन करने में मदद करता है।

भारतीय संदर्भ में प्रासंगिकता: क्यों यह आपके लिए मायने रखता है (Relevance in Indian Context)

विद्यार्थियों, भारत आज एक डिजिटल महाशक्ति (Digital Powerhouse) बनने की राह पर है। हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी आईटी उद्योग (World’s Largest IT Industry) है। हम अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर (Cutting-Edge Software) विकसित कर रहे हैं जो वैश्विक स्तर पर उपयोग किया जाता है – UPI, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM), कोविन प्लेटफॉर्म, रेलवे आरक्षण प्रणाली। ऐसे सिस्टम जहां लाखों-करोड़ों लोगों का डेटा और पैसा शामिल होता है, वहां त्रुटि-मुक्तता (Error-Freeness), सुरक्षा (Security), और विश्वसनीयता (Reliability) सर्वोपरि है। एक छोटी सी बग (Bug) भी बहुत बड़ा वित्तीय नुकसान या सार्वजनिक अविश्वास पैदा कर सकती है।

अमूर्त यंत्र और औपचारिक विधियाँ (Formal Methods) इन महत्वपूर्ण प्रणालियों (Critical Systems) के सही और सुरक्षित होने की गारंटी देने का एकमात्र व्यावहारिक तरीका हैं। भारत सरकार की नीतियाँ (जैसे कि राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर नीति का मसौदा) भी सुरक्षित और विश्वसनीय सॉफ्टवेयर के विकास पर जोर देती हैं। जैसे ही हम स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम (Indigenous OS), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (AI Platforms), और साइबर सुरक्षा समाधान (Cybersecurity Solutions) विकसित करते हैं, अमूर्त यंत्रों और औपचारिक सत्यापन में विशेषज्ञता अत्यधिक मूल्यवान (Highly Valuable) और भविष्य-सुरक्षित (Future-Proof) कौशल बन जाएगी। इस क्षेत्र में महारत हासिल करके, आप न केवल एक बेहतर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनेंगे, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य के निर्माण में भी योगदान देंगे।


निष्कर्ष: अमूर्तता की शक्ति (Conclusion: The Power of Abstraction)

अमूर्त यंत्र, विद्यार्थियों, कंप्यूटर विज्ञान का एक आधारशिला (Cornerstone) है। यह सैद्धांतिक गणित (Theoretical Mathematics – समुच्चय, तर्क) और व्यावहारिक सॉफ्टवेयर विकास (Practical Software Development) के बीच एक शक्तिशाली सेतु (Powerful Bridge) का काम करता है। यह हमें “क्या” को “कैसे” से अलग करके, सटीक विशिष्टताएँ (Precise Specifications) लिखने, जटिलता का प्रबंधन (Manage Complexity) करने, और गणितीय रूप से सिद्ध (Mathematically Proven) सही और विश्वसनीय सिस्टम बनाने में सक्षम बनाता है। चरणबद्ध परिष्करण की प्रक्रिया व्यवस्थित इंजीनियरिंग (Systematic Engineering) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

यह अवधारणा शुरू में चुनौतीपूर्ण लग सकती है – गैर-नियतात्मकता, प्रथम-क्रम तर्क, समुच्चय – ये सभी नए शब्द हैं। लेकिन याद रखें, हर जटिल प्रणाली को समझने की शुरुआत एक सरल अमूर्तन (Simple Abstraction) से होती है। अमूर्त यंत्रों को समझना और उपयोग करना सीखना आपको न केवल एक बेहतर प्रोग्रामर, बल्कि एक अधिक गहन विचारक (Deeper Thinker) और विश्लेषक (Analyst) भी बनाएगा। यह आपको उन महत्वपूर्ण प्रणालियों (Critical Systems) को डिजाइन करने के योग्य बनाएगा जो भारत और दुनिया की अगली पीढ़ी को शक्ति प्रदान करेंगे।

इसलिए, इस सैद्धांतिक आधार को गहराई से समझने का प्रयास करें। यह आपके कंप्यूटर विज्ञान के ज्ञान को मजबूत करेगा और आपको भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा।

धन्यवाद। किसी प्रश्न या संदेह के लिए, हाथ उठाकर पूछें।


Source:
Abstract Machine

⚠️ Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी को चेक करके ही इस्तेमाल करें। लेखों की सामग्री शैक्षिक उद्देश्य से है; पुष्टि हेतु प्राथमिक स्रोतों/विशेषज्ञों से सत्यापन अनिवार्य है।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More posts