अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning): AI की दुनिया में ‘सबसे संभावित कहानी’ ढूँढ़ने की कला

अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning) की सरल परिभाषा:

अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning) वह तार्किक प्रक्रिया है जिसमें हम किसी देखी गई घटना (Observation) के लिए सबसे संभावित स्पष्टीकरण (Most Plausible Explanation) ढूँढते हैं। यह एक “शिक्षित अनुमान (Educated Guess)” की तरह है, जहाँ हम उपलब्ध जानकारी के आधार पर सबसे मुमकिन कारण या कहानी बनाते हैं।

उदाहरण (Example):

  • अवलोकन (Observation): सड़क गीली है।
  • अनुमान (Possible Explanations):
    • बारिश हुई होगी (सबसे संभावित)।
    • कोई पाइप फूटा होगा।
    • किसी ने पानी डाला होगा।
  • अभ्यासात्मक निष्कर्ष (Abductive Conclusion): “शायद बारिश हुई है!” (हालाँकि पक्का नहीं, पर सबसे ज़्यादा मुमकिन लगता है)।

मुख्य बात (Key Point):

यह निश्चित सत्य (Absolute Truth) नहीं बताता, बल्कि सबसे अच्छा अनुमान (Best Guess) देता है, जिसे आगे जाँचा जा सकता है।

इसे “कमाल का अनुमान लगाने की कला” भी कह सकते हैं!


नमस्ते विद्यार्थियों! आज हम तर्कशास्त्र (Logic) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) की एक अत्यंत रोचक और शक्तिशाली अवधारणा पर चर्चा करने जा रहे हैं – अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning)। इसे अक्सर “सर्वोत्तम व्याख्या के लिए अनुमान” (Inference to the Best Explanation) कहा जाता है। यह वह प्रक्रिया है जिसका उपयोग करके हम, या एक AI सिस्टम, किसी देखी गई घटना या परिघटना (Phenomenon) के लिए सबसे संभावित कारण या स्पष्टीकरण (Most Plausible Cause or Explanation) का पता लगाता है। चलिए, इसे गहराई से समझते हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारी कक्षा में होता है – आधारभूत बातों से शुरू करके उन्नत सिद्धांतों तक पहुँचते हुए।


अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning) आखिर है क्या? इसे परिभाषित कैसे करें?

देखिए विद्यार्थियों, तर्क के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं, और उनके बीच का अंतर समझना ही अभ्यासात्मक तर्क को समझने की कुंजी है:

  1. निगमनात्मक तर्क (Deductive Reasoning): यह “सामान्य से विशिष्ट” की ओर जाता है। अगर हमारे पास सामान्य नियम (General Rule) सही है और प्रारंभिक शर्तें (Premises) सही हैं, तो निष्कर्ष (Conclusion) अनिवार्य रूप से सही होगा।
    • उदाहरण: सभी मनुष्य नश्वर हैं (सामान्य नियम)। सुकरात एक मनुष्य है (प्रारंभिक शर्त)। अतः, सुकरात नश्वर है (निष्कर्ष – अनिवार्य रूप से सही)।
    • कमी: इसमें कोई नया ज्ञान नहीं बनता; यह तो सिर्फ मौजूदा ज्ञान से तार्किक परिणाम निकालता है। अगर सामान्य नियम पूरी तरह सही नहीं है, या प्रारंभिक शर्तें गलत हैं, तो निष्कर्ष भी गलत होगा।
  2. आगमनात्मक तर्क (Inductive Reasoning): यह “विशिष्ट से सामान्य” की ओर जाता है। कई विशिष्ट अवलोकनों (Observations) के आधार पर एक सामान्य नियम या पैटर्न बनाने का प्रयास करता है।
    • उदाहरण: मैंने देखा कि गुजरात में बारिश हुई, केरल में बारिश हुई, बंगाल में बारिश हुई (विशिष्ट अवलोकन)। अतः, संभवतः पूरे भारत में मानसून आ गया है (सामान्यीकृत निष्कर्ष)।
    • कमी: यह निष्कर्ष संभाव्य (Probable) होता है, निश्चित (Certain) नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि कश्मीर में अभी बारिश शुरू न हुई हो? यह नए ज्ञान का सृजन करता है, पर उसमें हमेशा अनिश्चितता का अंश रहता है।
  3. अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning): और अब हमारा मुख्य विषय! यह “प्रभाव से कारण” की ओर जाता है। हमारे सामने कोई अप्रत्याशित या अस्पष्ट परिघटना या अवलोकन (Observation) होता है। हम उस अवलोकन को सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करने वाले संभावित कारण या परिकल्पना (Hypothesis) का अनुमान लगाते हैं।
    • उदाहरण: आपकी कार स्टार्ट नहीं हो रही (अवलोकन)। संभावित स्पष्टीकरण क्या हो सकते हैं? बैटरी डेड हो सकती है, स्टार्टर खराब हो सकता है, या पेट्रोल ही खत्म हो गया हो (संभावित परिकल्पनाएँ)। आप उपलब्ध साक्ष्यों (जैसे हेडलाइट्स चल रही हैं या नहीं, इंजन कैसी आवाज कर रहा है) के आधार पर सबसे संभावित कारण (शायद बैटरी) का अनुमान लगाते हैं। यह निश्चित नहीं है, लेकिन उपलब्ध जानकारी के हिसाब से सबसे ज्यादा समझ में आने वाला स्पष्टीकरण है।
    • मूल तत्व: यह अनिवार्य सत्य नहीं देता, बल्कि सर्वोत्तम उपलब्ध व्याख्या (Best Available Explanation) प्रदान करता है, जिसे अक्सर आगे जाँचने की जरूरत होती है।

Handbook of the History of Logic (2007) के अनुसार

अभ्यासात्मक तर्क में एक परिस्थिति का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक फ्रेम (Frame – एक प्रकार की संरचना या टेम्पलेट) प्रस्तावित करना शामिल है। फिर सिस्टम के लक्ष्यों (Goals) के बारे में ज्ञान का उपयोग करके इस फ्रेम के प्रत्येक घटक (Component) को मान (Values) निर्दिष्ट किए जाते हैं। यह निगमनात्मक तर्क (Deductive Logic) से भिन्न है, क्योंकि यहां निष्कर्ष निश्चित नहीं होता, और इसे सर्वोत्तम व्याख्या तक पहुँचने के लिए तर्कसंगत ज्ञानमीमांसीय नीतियों (Rational Epistemic Policies) की आवश्यकता होती है – यानी ऐसी नीतियाँ जो बताती हैं कि किस आधार पर हम किसी चीज़ को ‘ज्ञान’ मानें और किसी परिकल्पना को ‘सर्वोत्तम’ कैसे घोषित करें।


अभ्यासात्मक तर्क काम कैसे करता है? इसकी तकनीकी प्रक्रिया क्या है?

आइए इसे चरणबद्ध तरीके से समझते हैं, जैसे कोई AI सिस्टम या एक विशेषज्ञ मानव इसे करेगा:

  1. अवलोकन (Observation): प्रक्रिया शुरू होती है किसी अपूर्ण या अप्रत्याशित घटना (Incomplete or Unexpected Event) के अवलोकन से। यह AI सेंसर डेटा हो सकता है (जैसे मेडिकल इमेज में एक असामान्य धब्बा), सिस्टम लॉग में एक एरर मैसेज हो सकता है, या रियल-टाइम डेटा स्ट्रीम में कोई अजीब पैटर्न हो सकता है। इस अवलोकन को ‘O’ से निरूपित करते हैं।
  2. ज्ञान आधार का संदर्भ (Consulting the Knowledge Base – KB): अब सिस्टम या व्यक्ति अपने ज्ञान आधार (Knowledge Base) या डोमेन ज्ञान (Domain Knowledge) को खंगालता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:
    • कारण-प्रभाव संबंध (Causal Relationships): “अगर बैटरी डेड है तो कार स्टार्ट नहीं होगी।”
    • नियम (Rules): “अगर बुखार है और खांसी है, तो यह फ्लू हो सकता है।”
    • सांख्यिकीय पैटर्न (Statistical Patterns): “मौसम के डेटा के अनुसार, बादल घिरने और हवा की गति बढ़ने के बाद 80% बारिश होती है।”
    • पूर्वानुभव (Past Experiences): “पिछली बार जब सर्वर धीमा हुआ था, तो कारण मेमोरी लीक था।”
  3. संभावित परिकल्पनाओं का उत्पादन (Generating Plausible Hypotheses – H): ज्ञान आधार के आधार पर, वे सभी संभावित परिकल्पनाएँ (Hypotheses – H1, H2, H3…) सूचीबद्ध की जाती हैं जो अवलोकन ‘O’ की व्याख्या कर सकती हैं। यहाँ ‘फ्रेम प्रस्तावित करना’ आता है। फ्रेम एक ढाँचा है जो समस्या के स्थान (Problem Space) को परिभाषित करता है। उदाहरण के लिए, ‘कार न चलना’ के फ्रेम में घटक होंगे: ईंधन प्रणाली, विद्युत प्रणाली, इंजन यांत्रिकी आदि। प्रत्येक घटक के लिए संभावित ‘मान’ (Values) या ‘अवस्थाएँ’ (States) होती हैं (जैसे विद्युत प्रणाली: सामान्य, बैटरी डेड, अल्टरनेटर खराब)। अभ्यासात्मक तर्क इन मानों को इस तरह असाइन करने की कोशिश करता है कि वह अवलोकन ‘O’ को सबसे अच्छी तरह समझा सके।
  4. सर्वोत्तम व्याख्या का चयन (Selecting the Best Explanation): यही सबसे महत्वपूर्ण और जटिल चरण है! सभी संभावित ‘H’ अवलोकन ‘O’ की व्याख्या करने का दावा करते हैं। लेकिन कौन सा ‘H’ सबसे अच्छा (Best) है? इसके लिए हमें तर्कसंगत ज्ञानमीमांसीय नीतियों (Rational Epistemic Policies) को लागू करना होगा। ये नीतियाँ वे मानदंड हैं जो तय करते हैं कि किसी व्याख्या को ‘सर्वोत्तम’ क्यों माना जाए:
    • सरलता (Simplicity): क्या यह परिकल्पना अनावश्यक जटिलताओं से मुक्त है? (ओक्कम का उस्तरा – Occam’s Razor)। जितनी सरल व्याख्या, उतनी ही अधिक संभावना कि वह सही हो।
    • स्पष्टता (Explanatory Power): क्या यह परिकल्पना अवलोकन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को पूरी तरह और सटीकता से समझा पाती है? क्या यह असंगत डेटा को छोड़ती है?
    • संगति (Consistency): क्या यह परिकल्पना हमारे मौजूदा ज्ञान आधार (KB) और दुनिया के बारे में सामान्य समझ के साथ संगत है? क्या यह पहले से ज्ञात तथ्यों या सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करती?
    • परीक्षणीयता (Testability): क्या इस परिकल्पना की पुष्टि या खंडन करने के लिए इसका परीक्षण किया जा सकता है? क्या यह भविष्यवाणियाँ करती है जिन्हें जाँचा जा सके?
    • संभाव्यता (Probability): उपलब्ध आँकड़ों या सांख्यिकीय जानकारी के आधार पर, इस परिकल्पना के सही होने की संभावना कितनी है?
    • सिस्टम के लक्ष्य (System’s Goals): यह बिंदु विशेष रूप से AI में महत्वपूर्ण है। स्पष्टीकरण ऐसा होना चाहिए जो सिस्टम के समग्र लक्ष्यों (जैसे कार को ठीक करना, रोगी का सही निदान करना, सर्वर को स्थिर करना) की पूर्ति में सहायक हो। एक व्याख्या तकनीकी रूप से सही हो सकती है, लेकिन अगर वह सिस्टम को उसके लक्ष्य तक पहुँचने में मदद नहीं करती, तो वह उस संदर्भ में ‘सर्वोत्तम’ नहीं हो सकती।
  5. परिकल्पना का परीक्षण और परिष्करण (Hypothesis Testing & Refinement): चुनी गई ‘सर्वोत्तम’ परिकल्पना अक्सर अंतिम सत्य नहीं होती। इसे अक्सर आगे जाँचने की जरूरत होती है – या तो नए डेटा एकत्र करके, या भविष्यवाणियाँ करके कि अगर यह परिकल्पना सही है तो क्या होना चाहिए, और फिर उसका अवलोकन करके। परीक्षण के परिणामों के आधार पर परिकल्पना को स्वीकार किया जा सकता है, खारिज किया जा सकता है, या संशोधित किया जा सकता है। यह एक चक्रीय (Iterative) प्रक्रिया हो सकती है।

भारतीय संदर्भ में अभ्यासात्मक तर्क के वास्तविक जीवन के उदाहरण क्या हैं?

चलिए अब इसे हमारे दैनिक जीवन और भारतीय परिदृश्य से जोड़कर देखते हैं:

  1. आयुर्विज्ञान निदान (Medical Diagnosis): यह अभ्यासात्मक तर्क का क्लासिक उदाहरण है। डॉक्टर के पास रोगी के लक्षण हैं (अवलोकन – O): बुखार, खांसी, थकान। डॉक्टर का ज्ञान आधार (KB) कहता है कि ये लक्षण फ्लू, टाइफाइड, निमोनिया, या कोविड-19 जैसे कई रोगों के हो सकते हैं (परिकल्पनाएँ – H1, H2, H3…)। फिर डॉक्टर मानदंड लागू करता है: स्थानीय में क्या चल रहा है? (संभाव्यता), रोगी की उम्र और इतिहास क्या है? (संगति), कौन सा रोग सभी लक्षणों को सबसे अच्छे से स्पष्ट करता है? (स्पष्टता), कौन सा परीक्षण सबसे सरलता से पुष्टि कर सकता है? (सरलता, परीक्षणीयता)। लक्ष्य है सही इलाज ढूँढना (सिस्टम गोल)। अंत में वह ‘सबसे संभावित’ निदान (Best Explanation) पर पहुँचता है और शायद ब्लड टेस्ट (परीक्षण) की सलाह देता है।
  2. IT सहायता (IT Helpdesk): आपकी कंपनी का सर्वर अचानक धीमा हो गया है (O)। आपके ज्ञान आधार (KB) में हो सकता है: नेटवर्क कंजेशन, हार्डवेयर फेल्योर, सॉफ्टवेयर बग, मेमोरी लीक, या DDoS अटैक (परिकल्पनाएँ)। आप सर्वर लॉग चेक करते हैं (नया डेटा), देखते हैं कि CPU यूटिलाइजेशन 100% है, मेमोरी लगभग फुल है। क्या सबसे सरल व्याख्या है? मेमोरी लीक वाला सॉफ्टवेयर (सरलता, स्पष्टता – CPU हाई है क्योंकि सिस्टम स्वैप मेमोरी का उपयोग कर रहा है)। क्या यह हाल के अपडेट के साथ संगत है? (संगति)। आप संबंधित सर्विस रीस्टार्ट करके परीक्षण करते हैं (परीक्षणीयता)। लक्ष्य है सर्वर परफॉर्मेंस बहाल करना।
  3. कृषि समस्याएँ (Agricultural Troubleshooting): एक किसान देखता है कि उसके धान के खेत में पीले पत्ते दिख रहे हैं (O)। उसका ज्ञान (KB): यह पोषक तत्वों की कमी (नाइट्रोजन?), कीटों का प्रकोप, पानी की कमी, या बीमारी का लक्षण हो सकता है। वह देखता है कि मौसम सामान्य है, पानी की व्यवस्था ठीक है, लेकिन पत्तियों पर छोटे-छोटे कीड़े दिख रहे हैं (नया अवलोकन)। सबसे संभावित स्पष्टीकरण? कीटों का प्रकोप (स्पष्टता – कीड़े सीधे दिख रहे हैं, संगति – मौसम उनके लिए अनुकूल है, सरलता – कीटनाशक छिड़काव एक सीधा समाधान है)। लक्ष्य है फसल को बचाना।
  4. क्रिकेट में कप्तानी (Captaincy in Cricket): विरोधी टीम का एक बल्लेबाज अचानक तेजी से रन बना रहा है (O)। कप्तान सोचता है (KB): क्या गेंदबाजी लाइन-लेंथ खराब है? क्या फील्ड सेटिंग गलत है? क्या यह बल्लेबाज स्पिन पर कमजोर है? क्या यह एक विशेष प्रकार की गेंद (जैसे यॉर्कर या बाउंसर) खेलने में कठिनाई महसूस कर रहा है? कप्तान उपलब्ध डेटा (पिछले ओवरों की गेंदें, बल्लेबाज का पिछला रिकॉर्ड, पिच की स्थिति) के आधार पर सबसे संभावित कारण का अनुमान लगाता है (जैसे गेंदबाज सही लाइन नहीं खोज पा रहा है – H1) और तुरंत फील्ड बदलता है या गेंदबाज को बदलता है (क्रिया – परिकल्पना पर आधारित हस्तक्षेप)। अगर रन रुक जाते हैं तो अनुमान सही था! लक्ष्य विकेट लेना/रन रोकना।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में अभ्यासात्मक तर्क का क्या महत्व है?

विद्यार्थियों, AI के लिए तो अभ्यासात्मक तर्क एक जीवनरक्त (Lifeblood) की तरह है! क्यों? क्योंकि असली दुनिया अधूरे डेटा, शोर (Noise), और अनिश्चितताओं से भरी हुई है। AI सिस्टम को अक्सर ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जहाँ:

  • सारा डेटा उपलब्ध नहीं होता (Incomplete Data)।
  • डेटा में त्रुटियाँ या शोर होता है (Noisy/Erroneous Data)।
  • समस्या इतनी जटिल होती है कि निगमनात्मक तर्क से हल नहीं निकाला जा सकता।
  • त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, भले ही पूर्ण निश्चितता न हो।

ऐसे में, अभ्यासात्मक तर्क AI सिस्टम को यह क्षमता प्रदान करता है:

  • निदान प्रणालियाँ (Diagnostic Systems): जैसे मशीनों में खराबी का पता लगाना (जैसे कार इंजन, औद्योगिक उपकरण), सॉफ्टवेयर बग डिबगिंग, या चिकित्सा निदान में सहायता करने वाले एक्सपर्ट सिस्टम। सिस्टम लक्षणों (O) के आधार पर सबसे संभावित खराबी (Best Explanation – H) का अनुमान लगाता है।
  • प्राकृतिक भाषा समझ (Natural Language Understanding – NLU): जब आप Google Assistant या Amazon Alexa से कुछ अस्पष्ट या अधूरा पूछते हैं, तो वह अभ्यासात्मक तर्क का उपयोग करके यह अनुमान लगाने की कोशिश करती है कि आपका वास्तविक अभिप्राय (Intent) क्या हो सकता है? आपके शब्दों (O) और संदर्भ (Context) के आधार पर सबसे संभावित अर्थ (Best Explanation) निकालती है।
  • दृश्य अनुभूति (Computer Vision): एक छवि में कुछ अस्पष्ट या आंशिक रूप से ढका हुआ देखकर, AI सिस्टम अभ्यासात्मक रूप से यह अनुमान लगा सकता है कि वह वस्तु क्या है? उदाहरण के लिए, बारिश में धुंधली ट्रैफिक कैमरा इमेज में लाइसेंस प्लेट के कुछ अंक गायद हैं, AI बचे हुए अंकों और पैटर्न के आधार पर सबसे संभावित नंबर का अनुमान लगा सकता है।
  • स्वायत्त नेविगेशन (Autonomous Navigation): एक सेल्फ-ड्राइविंग कार सेंसर डेटा में अचानक एक असामान्य वस्तु देखती है (O)। क्या यह प्लास्टिक की थैली है? क्या यह एक पत्थर है? क्या यह कोई जानवर है? कार को तुरंत सबसे संभावित (और सबसे सुरक्षित) व्याख्या (Best Explanation) चुनकर उसके अनुसार प्रतिक्रिया करनी होती है – ब्रेक लगाना, मोड़ना, या धीमा करना। यहाँ सिस्टम का लक्ष्य (सुरक्षा) सर्वोत्तम व्याख्या चुनने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
  • अनुशंसा प्रणालियाँ (Recommendation Systems): जब Netflix आपको अगला शो सुझाता है, तो वह आपके देखे गए शोज (O), अन्य समान प्रोफाइल वाले उपयोगकर्ताओं के व्यवहार (KB), और सामग्री की विशेषताओं के आधार पर यह अभ्यासात्मक अनुमान लगाता है कि आपको सबसे अधिक पसंद आने की संभावना (Most Plausible Explanation for your preferences) क्या है?

निष्कर्ष (Conclusion):

तो विद्यार्थियों, अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning) हमारे दैनिक जीवन के निर्णयों से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सबसे उन्नत प्रणालियों तक में गहराई से समाया हुआ है। यह हमें एक अपूर्ण और अनिश्चित दुनिया में सर्वोत्तम संभव समझ (Best Possible Understanding) बनाने की क्षमता देता है। यह सच का दावा नहीं करता, बल्कि सबसे अधिक विश्वसनीय मार्गदर्शक (Most Reliable Guide) प्रदान करता है, जिसके आधार पर हम कार्रवाई कर सकते हैं, परिकल्पनाओं का परीक्षण कर सकते हैं, और अपने ज्ञान को परिष्कृत कर सकते हैं।

AI में, यह मशीनों को मानव जैसी समस्या-समाधान क्षमता, विशेष रूप से निदान (Diagnosis), निर्णय लेने (Decision Making under Uncertainty), और संदर्भ समझने (Contextual Understanding) की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अभ्यासात्मक तर्क का सफलता सीधे तौर पर गुणवत्तापूर्ण ज्ञान आधार (Quality of Knowledge Base) और कठोर ज्ञानमीमांसीय नीतियों (Rigorous Epistemic Policies) पर निर्भर करती है। जितना समृद्ध और सटीक ज्ञान आधार होगा, और जितनी अधिक तर्कसंगत नीतियाँ होंगी, उतना ही बेहतर ‘सर्वोत्तम व्याख्या’ का चयन होगा।

अगली बार जब आप किसी पहेली का हल ढूंढेंगे, डॉक्टर आपका निदान करेगा, या आपका फोन आपकी बात समझकर जवाब देगा, तो याद रखिए – अभ्यासात्मक तर्क की यह शक्तिशाली प्रक्रिया ही पर्दे के पीछे काम कर रही होगी, ‘सबसे संभावित कहानी’ को तलाशने में!

क्या इस विषय पर कोई प्रश्न है?


प्रमुख शब्दावली और अवधारणाएँ (Key Vocabulary & Concepts – सरल हिंदी व्याख्या सहित):

  • अभ्यासात्मक तर्क (Abductive Reasoning): किसी अवलोकन के लिए सबसे संभावित कारण या स्पष्टीकरण ढूँढने की तार्किक प्रक्रिया। (‘अनुमान से सर्वोत्तम व्याख्या’)।
  • अवलोकन (Observation – O): कोई घटना या डेटा जिसकी व्याख्या करनी है। (देखी गई बात या घटना)।
  • परिकल्पना (Hypothesis – H): अवलोकन की व्याख्या करने का एक संभावित प्रस्ताव। (एक कल्पना या अनुमान जिसे परखा जा सके)।
  • ज्ञान आधार (Knowledge Base – KB): किसी विषय क्षेत्र (डोमेन) से संबंधित तथ्यों, नियमों और संबंधों का संग्रह। (जानकारी का भंडार)।
  • सर्वोत्तम व्याख्या (Best Explanation): उपलब्ध साक्ष्यों और ज्ञान के आधार पर अवलोकन का सबसे संभावित, सरल और संगत स्पष्टीकरण। (सबसे मुमकिन और समझदारी भरा कारण)।
  • फ्रेम (Frame): किसी स्थिति या वस्तु का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक संरचना या खाका, जिसमें विभिन्न घटकों के लिए स्लॉट्स होते हैं जिन्हें मानों से भरा जा सकता है। (एक ढाँचा या सांचा)।
  • ज्ञानमीमांसीय नीतियाँ (Epistemic Policies): ये नियम तय करते हैं कि हम कैसे जानते हैं कि कुछ सच है या किसी परिकल्पना को कैसे मान्य करें। ये ‘सर्वोत्तम’ को परिभाषित करती हैं। (ज्ञान प्राप्त करने और उसकी पुष्टि के नियम)।
  • तर्कसंगत (Rational): तर्क और कारण के अनुसार। (विवेकपूर्ण, युक्तिसंगत)।
  • सरलता (Simplicity): व्याख्या का अनावश्यक जटिलताओं से मुक्त होना। (ओक्कम का उस्तरा – सबसे सीधा स्पष्टीकरण सबसे अधिक संभावित होता है)। (सादगी)।
  • स्पष्टता (Explanatory Power): व्याख्या का अवलोकन के सभी पहलुओं को पूरी तरह और सटीक रूप से समझा पाना। (समझाने की क्षमता)।
  • संगति (Consistency): व्याख्या का मौजूदा ज्ञान और सामान्य सिद्धांतों के साथ मेल खाना। (अन्य ज्ञान से तालमेल)।
  • परीक्षणीयता (Testability): व्याख्या की पुष्टि या खंडन करने के लिए उसका परीक्षण करने की संभावना। (जाँचे जाने योग्य होना)।
  • संभाव्यता (Probability): किसी घटना के घटित होने की गणितीय संभावना। (कितना मुमकिन है?)।
  • कार्य-कारण संबंध (Causal Relationship): कारण और उसके प्रभाव के बीच का संबंध। (जैसे बारिश होना (कारण) और सड़क गीली होना (प्रभाव))।
  • अनिश्चितता (Uncertainty): पूर्ण निश्चितता का अभाव, जो वास्तविक दुनिया की समस्याओं में आम है। (न पक्के तौर पर जानना)।
  • पुनरावृत्तीय प्रक्रिया (Iterative Process): एक प्रक्रिया जो परिणामों के आधार पर बार-बार दोहराई जाती है और परिष्कृत की जाती है। (बार-बार करके सुधारने की प्रक्रिया)।

Source: Abductive Reasoning

⚠️ Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी को चेक करके ही इस्तेमाल करें। लेखों की सामग्री शैक्षिक उद्देश्य से है; पुष्टि हेतु प्राथमिक स्रोतों/विशेषज्ञों से सत्यापन अनिवार्य है।

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