नमस्ते! आज हम इंटरनेट के इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय—DMOZ (Directory Mozilla) पर चर्चा करेंगे। यह सिर्फ एक डायरेक्टरी नहीं, बल्कि वेब का संविधान थी जिसने Google जैसे सर्च इंजन्स को प्रेरित किया! चलिए, कॉन्सेप्ट को लेयर-बाय-लेयर समझते हैं…
1. वेब डायरेक्टरी क्या है? ये सर्च इंजन से कैसे अलग थी?
(Basics: Taxonomy vs. Algorithm)
कल्पना कीजिए आपको 1990 के दशक में मुंबई की सड़कों पर एक दुकान ढूँढनी है। आपके पास दो विकल्प:
- येलो पेजेज़ (Yellow Pages): दुकानों को श्रेणीबद्ध (categorize) किया गया है—”हार्डवेयर शॉप्स” के अंदर “महालक्ष्मी हार्डवेयर”
- लोकल गाइड (Local Guide): कोई आपसे पूछकर बताता है, “अरे, लोखंडवाला में तो बढ़िया दुकान है!”
DMOZ पहले विकल्प जैसी थी—एक मैन्युअल रूप से बनी हुई डायरेक्टरी। इसमें वेबसाइट्स को ह्यूमन एडिटर्स (मानव संपादक) श्रेणियों (categories) में बाँटते थे, जैसे:
कला > सिनेमा > बॉलीवुड > समीक्षाएँ
इसकी तुलना में सर्च इंजन (जैसे Google) क्रॉलर्स (crawlers) का उपयोग करते हैं—ये ऑटोमेटेड प्रोग्राम्स होते हैं जो साइट्स को स्कैन कर अल्गोरिदम (algorithm) से रैंक करते हैं।
2. DMOZ की तकनीकी प्रक्रिया: सबमिशन से लेकर एडिटोरियल रिव्यू तक
(Technical Workflow: The “Human Gatekeeper” Model)
DMOZ में साइट जोड़ने के लिए एक स्ट्रिक्ट 3-स्टेप प्रोसेस थी:
चरण 1: सबमिशन (Submission)
- वेबमास्टर्स को DMOZ की साइट पर जाकर फॉर्म भरना होता था
- फॉर्म में डिटेल्स: साइट का URL, टाइटल, डिस्क्रिप्शन (अधिकतम 25-30 शब्द), और सही कैटेगरी
- उदाहरण: एक भारतीय शिक्षा वेबसाइट (जैसे “विद्यार्थी डॉट कॉम”) को “World: Hindi: शिक्षा” कैटेगरी में जमा किया जाता
चरण 2: एडिटोरियल रिव्यू (Editorial Review)
- डीएमओजेड का वॉलंटियर एडिटर नेटवर्क (स्वयंसेवक संपादक समूह) सबमिशन चेक करता
- क्वालिटी चेकलिस्ट:
- क्या साइट ऑरिजिनल कंटेंट देती है? (मौलिक सामग्री)
- क्या डिस्क्रिप्शन स्पैम-फ्री है? (जैसे “Best SEO Company” जैसे शब्द नहीं)
- क्या कैटेगरी सही चुनी गई?
- रिजेक्शन के कारण: अधूरी साइट, अश्लील सामग्री, डुप्लीकेट सबमिशन
चरण 3: इन्क्लूजन (Inclusion)
अप्रूवल के बाद साइट को डायरेक्टरी में जोड़ा जाता। समय लगता था: 2 सप्ताह से 6 महीने तक!
3. DMOZ का महत्व: भारतीय वेबसाइट्स के लिए “SEO गुरु मंत्र” क्यों था?
1998-2010 के बीच, DMOZ ट्रस्ट सिग्नल (trust signal) का काम करती थी। Google इसके डेटा को रैंकिंग फैक्टर मानता था!
उदाहरण
- नौकरी पोर्टल्स (जैसे Naukri.com): DMOZ में लिस्टिंग से उन्हें हायर डोमेन अथॉरिटी (Domain Authority) मिलती
- छोटे बिज़नेस: कोलकाता के एक हस्तशिल्प स्टोर की वेबसाइट को DMOZ में “भारतीय हस्तकला” कैटेगरी में जगह मिलना, गूगल रैंकिंग बढ़ाने जैसा था
वैरिएबल्स (Variables)
- ओपन डायरेक्टरी प्रोजेक्ट (ODP): DMOZ का टेक्निकल नाम
- रिंक (Rink): DMOZ डेटा का उपयोग करने वाली तीसरी-पार्टी साइट्स
4. पतन के कारण: 2017 में बंद क्यों हुआ? “मानवीय सिस्टम” की सीमाएँ
(The Shutdown: Scalability vs. Quality)
मुख्य समस्याएँ
- वॉलंटियर एडिटर्स की कमी: 90,000+ एडिटर्स थे, लेकिन स्पैम सबमिशन के आगे संख्या कम पड़ गई
- स्केलेबिलिटी इश्यू (Scalability Issue): 50 लाख+ साइट्स को मैनेज करना मुश्किल हो गया
- भ्रष्टाचार के आरोप: कुछ एडिटर्स पर पैसे लेकर साइट्स अप्रूव करने के आरोप लगे
तकनीकी बदलाव
- गूगल के पेंगुइन अल्गोरिदम (2012) ने साइट्स की क्वालिटी खुद जज करना शुरू कर दिया
- रियलटाइम सर्च ने डायरेक्टरीज को ओब्सोलीट (obsolete) बना दिया
भारतीय संदर्भ में सबक: DMOZ जैसी प्रणालियाँ सरकारी योजनाओं जैसी हैं—मैन्युअल रिव्यू शुरू में प्रभावी होता है, लेकिन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अक्षमता से घिर जाता है
5. विरासत: आधुनिक SEO में DMOZ के सिद्धांत कैसे जीवित हैं?
(Legacy: Human Curation in Algorithmic Age)
DMOZ के बंद होने के बावजूद, इसकी फिलॉसफी आज भी प्रासंगिक है:
- क्यूरेटेड डायरेक्टरीज: भारत में जस्टडायल (Justdial) या इंडिया मार्ट (IndiaMART) DMOZ के सिद्धांतों पर काम करते हैं
- यूजर एक्सपीरियंस (UX): गूगल “फीचर्ड स्निपेट्स” में मानवीय समीक्षा का तत्व शामिल करता है
- ट्रस्ट बिल्डिंग: आज भी वेबसाइट्स डायरेक्टरी सबमिशन के बजाय क्वालिटी बैकलिंक्स (Quality Backlinks) पर फोकस करती हैं—यह DMOZ की ही देन है!
फाइनल टेकअवे: टेक्नोलॉजी चाहे कितनी भी एडवांस हो जाए, कंटेंट की प्रामाणिकता (Authenticity) हमेशा मानवीय निर्णय से तय होती है। DMOZ याद दिलाता है कि इंटरनेट सूचना का समुद्र नहीं, बल्कि ज्ञान का मंदिर होना चाहिए!
क्या आप जानते हैं? DMOZ का डेटा आज भी कर्ली डायरेक्टरी (Curlie.org) में सुरक्षित है! एक्टिव वॉलंटियर्स इसे मेंटेन कर रहे हैं
इस लेख को समाप्त करते हुए एक प्रश्न: क्या आपके विचार में DMOZ जैसी सिस्टम आज AI युग में काम कर सकती है? कमेंट्स में अपनी राय जरूर शेयर करें!
📌 संक्षिप्त सारांश:
- DMOZ (Directory Mozilla) इंटरनेट की सबसे बड़ी मानव-संपादित वेब डायरेक्टरी थी!
- 1998-2017 तक सक्रिय रही, जिसे “इंटरनेट का येलो पेज” कहा जाता था!
- वेबसाइट्स को मैन्युअली श्रेणीबद्ध किया जाता था (सर्च इंजनों के विपरीत)!
- Google सहित कई सर्च इंजन DMOZ डेटा का उपयोग करते थे!
- 2017 में स्केलेबिलिटी और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण बंद हो गई!
❓ लोग यह भी पूछते हैं:
1. DMOZ का पूरा नाम क्या था और यह किसने बनाया?
DMOZ का पूरा नाम “Directory Mozilla” था, जिसे मूल रूप से “Open Directory Project” (ODP) के नाम से भी जाना जाता था। इसे 1998 में Rich Skrenta और Bob Truel द्वारा बनाया गया था। बाद में Netscape Communications Corporation ने इसे अधिग्रहित कर लिया।
2. क्या DMOZ का डेटा आज भी उपलब्ध है?
हाँ, DMOZ का डेटा अभी भी Curlie.org (पूर्व में “dmoz mirror”) पर उपलब्ध है। यह एक स्वयंसेवक समुदाय द्वारा संचालित होता है और DMOZ के मूल डेटा को संरक्षित रखता है, हालांकि नई साइट्स जोड़ने का काम अब बहुत सीमित है।
3. DMOZ और विकिपीडिया में क्या अंतर था?
DMOZ और विकिपीडिया दोनों ही क्राउडसोर्स्ड प्रोजेक्ट्स थे, लेकिन DMOZ केवल वेबसाइट्स की डायरेक्टरी थी जबकि विकिपीडिया एक विश्वकोश है। DMOZ में साइट्स को केवल श्रेणीबद्ध किया जाता था, जबकि विकिपीडिया में सामग्री स्वयं बनाई जाती है।
4. क्या आज भी DMOZ जैसी कोई वेब डायरेक्टरी उपयोगी हो सकती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि आज के इंटरनेट में DMOZ जैसी पूर्ण वेब डायरेक्टरी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन विशिष्ट क्षेत्रों (जैसे शैक्षणिक संसाधन, स्थानीय व्यवसाय) के लिए क्यूरेटेड डायरेक्टरीज अभी भी उपयोगी हो सकती हैं। भारत में Justdial और IndiaMART इसके आंशिक उदाहरण हैं।
📊 DMOZ बनाम आधुनिक सर्च इंजन: तुलना
पैरामीटर | DMOZ (वेब डायरेक्टरी) | Google (सर्च इंजन) |
---|---|---|
संगठन प्रणाली | मानव-संपादित श्रेणीकरण | अल्गोरिदम-आधारित क्रॉलिंग |
सामग्री चयन | मैन्युअल रिव्यू और स्वीकृति | ऑटोमेटेड इंडेक्सिंग |
अपडेट की गति | धीमी (हफ्तों से महीनों तक) | तत्काल (मिनटों में) |
स्केलेबिलिटी | सीमित (5 मिलियन+ साइट्स) | असीमित (100+ बिलियन पेज) |
भारतीय संदर्भ में उपयोगिता | 1990-2010: उच्च (SEO के लिए महत्वपूर्ण) | 2010-वर्तमान: पूर्ण निर्भरता |
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